TEXT
READER

वर्तमान तोइन के सामने वाले दरवाज़े की मिट्टी की दीवार के क्षेत्र में योत्सू आशी मोन द्वार का निर्माण किया गया है। यह कान्जोदो हॉल, कारामोन दरवाज़ा, दाइशिदो हॉल की ओर एक सीधी रेखा में मंदिर के पश्चिम ओर के पर्वत की तरफ बने हुए हैं।
योत्सू आशी मोन द्वार को 1624 में निर्मित किया गया था। प्रारंभ में इसे मुनाकादो छत वाले दरवाज़े के तौर पर बनवाया गया था, लेकिन बाद में इसे हिकाएबाशिरा खंभे के साथ योत्सू आशी मोन अर्थात चार-पैर वाले द्वार में बदल दिया गया। दरवाज़े के सामने पत्थर वाली सड़क पर लगाए गए तान्दाइ लालटेन एक पवित्र स्थान के प्रवेश द्वार के रूप में एक स्वच्छ वातावरण बनाते हैं ।

“मिट्टी की दीवार”

मिट्टी की दीवार

“योत्सू आशी मोन द्वार”

योत्सू आशी मोन द्वार

मुख्य स्तंभ के आगे और पीछे लगे चार स्तंभों वाला एक गेट। चूंकि चार स्तंभ हैं, इसलिए इसे चार-पैर वाला द्वार कहा जाता है और इसका उपयोग अक्सर मंदिरों के सामने के द्वार के लिए किया जाता है। प्रायः मुख्य स्तंभ बेलनाकार और किनारों के स्तंभ थोड़े पतले प्रिज़्म या त्रिकोणीय आकृति के होते हैं , जिसके ऊपर एक त्रिअंकी छत होता है। इसके अलावा, आगे और पीछे चार-चार स्तंभों वाले कुल आठ खम्बों वाले द्वार को यात्सूआशीमोन कहा जाता है।

“मुनाकादो”

इसे मुनाकादो , मुनेकादो, मुनामोन और मुनेमोन आदि कई नामो से जानते हैं, इसमें आगे पिछे के चार खम्बे नहीं होते, यह सिर्फ दो मुख्य खम्बों पर खड़ा द्वार है।

“हिकाएबाशिरा”

बाड़ आदि को सहारा देने के लीये लगाया गया खम्बा। चाड़ी।

“तान्दाइ”

बौद्ध संतों के बौद्ध सिद्धांत और बौद्ध धर्मग्रंथों की समझ को मौखिक सवाल-जवाब से जांचने की प्रक्रिया का सर्वोच्च चरण। तेंदाई संप्रदाय के कोगकू रयूगी में तान्दाइ एक विषय चुनते है, फिर परीक्षार्थी(रिश्शा) और परीक्षक(मोंजा) के दरमयान सवाल-जवाब का सिलसिला चलता है , जो तान्दाइ की निगरानी में होता है और बाद में वो फैसला करते हैं के परीक्षार्थी सफल हुआ या नहीं।

कानेइ युग का प्रथम वर्ष (1624 ईo)