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ज़ेन्पोइन​, मीइदेरा मंदिर के छह विशाल कमरें महान विद्वानों के घरों में से एक है।
इस विशाल उद्यान को एदो काल के "ओमी योचिशिर्याकु" (ओमी प्रान्त की स्थलाकृति) और "त्सुकियामा निवाज़ुकुरिदेन" (लैंडस्केप उद्यान निर्माण) में भी प्रसिद्ध उद्यान के रूप में परिचित कराया गया है। इसे 1934 ईo में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल के रूप में निर्दिष्ट किया गया।
हालांकि, 1945 ईo में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन से यह पृथ्वी में दफन हो गया था, और आज यह वैसा नहीं है जैसा कि यह हुआ करता था। लेकिन सौभाग्य से, उद्यानों के महान अनुसंधानकरता, शिगेमोरी मिरेइ द्वारा बनाया गया वास्तविक मानचित्र बच गया, और हाल ही में हुई खुदाई ने पुष्टि की है कि तालाब और पत्थर के आकार अच्छी तरह से संरक्षित हैं। 2017 ईo में एक संरक्षण और उपयोग योजना तैयार की गई थी, और जल्द से जल्द पुनर्निर्माण कार्य शुरू होने वाला है।

“छह विशाल कमरे”

एदो काल (1603–1868)में मीइदेरा मंदिर में स्थित छः महान विद्वानों के कक्ष का नाम। इनमें दक्षिणी भाग में होसेन-इन, कांगाकू-इन, और कोंजो-इन मध्य भाग में निक्को-इन और ज़ेन्पो-इन और उत्तरी भाग में किकेन-इन हैं।

“ओमी योचिशिर्याकु”

एक प्रतिनिधि भौगोलिक पत्रिका जो एदो काल के दौरान शिगा प्रान्त (ओमी प्रदेश) की प्रकृति और इतिहास का सारांश देती है। यह 101 खंड और 100 किताबों से बनी एक बहुत बड़ी रचना है। इसे ज़ेज़े प्रान्त के सामंत सामुकावा तात्सुकीयो (1697-1739) द्वारा 1733 ईo में संकलित किया गया था। यह शिगा प्रान्त के क्षेत्रीय इतिहास का अध्ययन करने के लिए एक अनिवार्य सामग्री है।

“त्सुकियामा निवाज़ुकुरिदेन”

कितामुरा एंकिन्साई द्वारा लिखित एक उद्यान पुस्तक। यह 1735 ईo में क्योतो में प्रकाशित हुई । इसमें तीन खंड हैं: प्रथम, द्वितीय एवं अंतिम। इस पुस्तक ने बहुत ख्याति प्राप्त की और बागवानी के शौक के प्रसार में बहुत योगदान दिया, और मेइजी काल से आगे भी बागवानी को निरंतर प्रभावित किया।

“शिगेमोरी मिरेइ”

शिगेमोरी मिरेइ (1896-1975) एक जापानी भूदृष्य वास्तुकार और जापानी उद्यान इतिहास के एक शोधकर्ता थें।

एदो काल का प्रारंभिक दौर