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राष्ट्रीय संपदा के तौर पर नामांकित कांगाकुइन अतिथिगृह के दक्षिणी ओर के दो कमरों में 16 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के मोमोयामा काल की महत्वपूर्ण वाल पेंटिंग है । ये चित्र कानो मित्सुनोबू द्वारा बनाये गए थें जो उस काल की चित्र कला को बखूबी प्रदर्शित करतीं हैं । चित्रकार कानो मित्सुनोबू, कानो एइतोकु के सबसे बड़े पुत्र थें, जिन्होंने चित्रकार के तौर पर ओदनोबू नागा और तोयोतोमी हिदेयोशी की सेवा की थी। कानो मित्सुनोबू ने अपने पिता के साथ मिलकर आज़ुची महल के लिए भी चित्र बनायें थें, पिता की मृत्यु के बाद भी वह तोयोतोमी और तोकुगावा परिवार के अनुरोध पर उनके लिए चित्र बनाते रहें ।
इनमें से सबसे प्रमुख , पहले कमरे में चार मौसमों के फूलों को दर्शाते 15-पैनल वाले चित्र है, जिन्हें सोने की पत्ती के वर्क पर चित्रित किया गया है । यह मित्सुनोबु कानो की उत्कृष्ट कृति है जिसे मोमोयामा काल के दीवार पेंटिंग का सर्वोपरि उदाहरण माना जाता है।
सामने की बड़ी दिवार पर चित्रित झरने और बर्फीले पहाड़ों का चित्र सर्दियों के दृश्य को दर्शाता है। उसके दाहिनी ओर प्लम और चेरी के चित्र वसंत ऋतू को दर्शाते हैं। उससे आगे पानी के किनारे बुरांस के फूल के चित्र हैं, उससे और दक्षिण की ओर खिसका कर खुलने वाला दरवाजज़ा जिसे माइरादो कहतें हैं उस पर हाइड्रेंजिया, आइरिस, और लाल मेपल के पत्तों के सुन्दर चित्र गर्मी से पतझड़ की ओर के परिवर्तन को दर्शाते हैं। इनमें मित्सुनोबू द्वारा प्रकृति के शांत और सुंदर दृश्यों को दर्शाया गया है।
दुसरे कमरे में 24 रंगीन पैनलों वाले कागज़ के चित्रपट पर फूलों और पक्षियों के चित्र बनें हैं। उत्तर पूर्वी कोने से दाएँ और बाएँ ओर शाखा फैलाये चिड़ के पेड़ चित्र के केंद्र मे खड़े हैं। वृक्षों के निचे जंगली पक्षी, बतख और मेंडारिन बतख, बांस पर गोरैय्या पत्थरों पर खंजन (वेग्टेल) पानी के किनारे खर घांसों में बगुले आदि पक्षियों के चित्र पहाड़ों की निर्मल प्रकृतिक सुन्दरता को दर्शातें हैं

“कांगाकुइन अतिथिगृह”

कांगाकुइन अतिथिगृह

“दक्षिणी ओर के दो कमरों”

दक्षिणी ओर के दो कमरों

“मोमोयामा काल”

युगों के वर्गीकरण में से एक। 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के लगभग 20 वर्ष जिनमे सत्ता तोयोतोमी हिदेयोशी के हाथ में थी। कला के इतिहास में मोमोयामा काल से लेकर प्रारम्भिक एदो काल का समय, जो मध्यकाल से आधुनिक काल की ओर के परिवर्तन का समय है, इसे बहुत महत्वपूर्ण समय माना जाता है। विशेष रूप से, शानदार महल, इमारतें, मंदिर आदि का निर्माण और भवन के अन्दुरुनी भाग को सजाने वाले सजावटी चित्रों का विकास हुआ है। इसके अलावा, लोगों के जीवन को दर्शाता है और शिल्प कौशल की प्रगति जैसे कि मिटटी के बर्तन, लाह के काम, और रंगाई और बुनाई उल्लेखनीय हैं।

“कानो मित्सुनोबू”

कानो मित्सुनोबू (1565–1608) कानो एइतोकू (1543–1590) का बड़ा पुत्र था, जिसने मोमोयामा काल के चित्रकला का नेतृत्वा किया। ओदा नोबुनागा और तोयोतोमी हिदेयोशी की सेवा के दौरान उसने अपने पिता एइतोकू के साथ मिलकर बहुत सी महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की, पर अधिकतर ख़त्म हो गई हैं। उनमे से मीइदेरा मंदिर के कांगाकू-इन के अतिथि-कक्ष में कि गई चित्रकारी का काम, कानो मित्सुनोबू के कार्य-शैली को समझने के लिए उत्कृष्ट उदाहरण है।

“ओदनोबू नागा”

ओदा नोबुनागा (1534–1582) सेंगोकू काल के प्रमुख योद्धा थे। वह मूलतः मिनो(वर्तमान-गिफू प्रान्त) से थे और में राष्ट्र-एकीकरण और शोगुन आशिकागा योशिआकी के सहयोग के लक्ष्य से सितम्बर 1568 ई. में क्योतो पहुंचे। क्योतो पहुँचने से पहले वह 24 सितम्बर को मीइदेरा मंदिर में रुकें, जहाँ उन्होंने कोजोइन को शोगुन के लिए छोड़ कर खुद गोकुराकूइन में ठहरे। इसके बाद उन्होंने ओमी में आज़ुची महल का निर्माण करवाया, और फिर राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य से आगे बढे, परन्तु राष्ट्र एकीकरण का उनका यह प्रयास उनके एक सेनापति आकेची मित्सुहिदे के विद्रोह के कारन असफल हो गया।

“तोयोतोमी हिदेयोशी”

आजुचिमोमोयामा काल का एक सेनापति। शुरू में वह ओदा नोबुनागा की सेवा में रहा , पर जब 1582 ईo में होन्नोजी हादसे में ओदा नोबुनागा की मृत्यु हो गई तो उसने शीघ्र ही खुद को उसका उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और शत्रुओं को हराकर राज्य को संयुक्त किया। उसने 1583 ईo में ओसाका महल का निर्माण शुरू किया जिसे 5 मंजिले (बाहर से) और 8 मंजिले (अंदर से) मीनारों से सुसज्जित किया गया, जो इस महान सेनापति को शोभनीय थी। होताइको के नाम से मशहूर भव्य मोमोयामा संस्कृति जिसका प्रतिनिधित्व चा-नो-यू और कानो स्कूल के चित्र करते हैं, इसी काल में विकसित हुए।

मीइदेरा मंदिर के साथ उसके सम्बंध लगभग अच्छे थे, परन्तु अपने आखिरी वर्षों 1595 ईo में अचानक उसने मीइदेरा मंदिर की सारी सम्पति को ज़ब्त करने का आदेश जारी किया। अगस्त1598 ईo में उसके मरणोप्रांत, उसकी पत्नी किता नो मांदोकोरो के द्वारा मीइदेरा मंदिर को पुनः बहाल किया गया।

“कानो एइतोकु”

कानो एइतोकु (1543-1590) आज़ुची मोमोयामा काल के प्रतिनिधि चित्रकार । उन्होंने एक नई चित्र कला की शुरुआत की जो उस समय के सामाजिक परिदृश्य को दर्शाता था, उनके इस कला ने ओदा नोबुनागा और तोयोतोमी हिदेयोशी को भी आकर्षित किया और उनके अनुरोध पर एइतोकु ने आज़ुची महल, जूराकुदाइ और ओसका महल आदि में भी चित्रकारी की सेवा प्रदान की। कोनोए परिवार के प्रमुख कोनोए साकिहिसा के साथ उनके पुराने घनिष्ठ संबंध थे, कोनोए परिवार जापान के 5 प्रमुख कुलीन परिवार में से एक था। चूँकि कोनोए के छोटे भाई दोचो मीइदेरा मंदिर के प्रमुख थें, शायद इसी वजह से एइतोकु के बड़े बेटे को कांगाकइन के वाल पेंटिंग का कार्य सौंपा गया।

“आज़ुची महल”

ओदा नोबुनागा ने 1576 से 1579 के तीन वर्षों की अवधी में, शिगा प्रान्त के वर्तमान ओमी हाचिमान में बीवा झील की ओर मुख किये हुए आज़ुची महल का निर्माण कराया । यह जापान का पहला ऐसा महल है जिसमें एक विशाल टावर(तेंशु ) है। ओदा नोबुनागा ने 1576 से 1579 के तीन वर्षों की अवधी में, शिगा प्रान्त के वर्तमान ओमी हाचिमान में बीवा झील की ओर मुख किये हुए आज़ुची महल का निर्माण कराया । यह जापान का पहला ऐसा महल है जिसमें विशाल टावर(तेंशु ) है। यह महल में कानो एइतोकु आदि जैसे चित्रकारों के वाल पेंटिंग से सुसज्जित था , जो ओदा नोबुनागा के कला प्रेम और मोमोयामा काल के दुर्लभ चित्रकला को दर्शाता था ।1582 में होन्नोजी मंदिर में नोबुनागा की हत्या के बाद इसे आग लगा कर नष्ट कर दिया गया था। इसके खंडहर को सरकार द्वारा राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल के रूप में संजोया गया है।

“चार मौसमों के फूलों”

चार मौसमों के फूलों

“बड़ी दिवार”

बड़ी दिवार

“माइरादो”

माइरादो

“फूलों और पक्षियों के चित्र”

फूलों और पक्षियों के चित्र