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कोज़ोइन अतिथिगृह के दक्षिण पंक्ति के दो कमरों में कानो स्कूल द्वारा पेपर वाल के ऊपर बनाई गयी चित्रकारी है जो आखरी मोमोयामा काल की विशेषताओं को बताती हैं। इचिनोमा के बड़े भाग में बनी सुनहरे रंग के "चीढ़ के पेड़ में झरना" का चित्र मोमोयामा काल की एक विशिष्ट पेपर वाल चित्रकारी की शैली को दिखाती है। त्सुके शोइन शेल्फ के ऊपरी हिस्से में "गुलदाउदी के फूल" की चित्रकारी भी इस काम की एक श्रृंखला है, जो मंदिर के कानो संराकु की शैली के समान कहा जाता है।
निनोमा के 12 फुसुमा अर्थात पेपर का सरकने वाले दरवाजों में चारों मौसमों के फूल और पक्षी के चित्र आधारभूत रंगों से बनाये गए हैं। उत्तर की ओर के चार भाग वसंत और ग्रीष्म के दृश्यों को दर्शाते हैं, जिसके बाईं ओर के दो भाग चीढ़ के पेड़ों और दाहिने तरफ के दो भागों में खिलते हुए पिओनी के फूल जलप्रपात पर नृत्य करते हुए दर्शाए गए हैं। पश्चिम की ओर के चार भागों पर, यह चित्रकारियां शरद ऋतु और सर्दियों में ले जाते हैं, जिसमें साज़ान्का और गुलदाउदी में हंस और मैंडरिन बत्तखों का चित्रण तथा बर्फीले पहाड़ों की पृष्ठभूमि खींची गयी है। यह सभी कानो स्कूल में भी अद्वितीय कार्यों के रूप में ध्यान आकर्षित करते हैं।

“कोजोइन अतिथिगृह”

कोजोइन अतिथिगृह

“दक्षिण पंक्ति के दो कमरे”

दक्षिण पंक्ति के दो कमरे

“कानो स्कूल”

इसके संस्थापक कानो मासानोबू थे, और यह स्कुल उनके वंशज चित्रकारों और दुसरे बहार के चित्रकारों से मिलकर बना था। यह स्कुल मुरोमाची काल से लेकर एदो काल तक सामुराई परिवारों के लिए आधिकारिक कलाकारो को जन्म देता रहा।

“मोमोयामा काल”

युगों के वर्गीकरण में से एक। 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के लगभग 20 वर्ष जिनमे सत्ता तोयोतोमी हिदेयोशी के हाथ में थी। कला के इतिहास में मोमोयामा काल से लेकर प्रारम्भिक एदो काल का समय, जो मध्यकाल से आधुनिक काल की ओर के परिवर्तन का समय है, इसे बहुत महत्वपूर्ण समय माना जाता है। विशेष रूप से, शानदार महल, इमारतें, मंदिर आदि का निर्माण और भवन के अन्दुरुनी भाग को सजाने वाले सजावटी चित्रों का विकास हुआ है। इसके अलावा, लोगों के जीवन को दर्शाता है और शिल्प कौशल की प्रगति जैसे कि मिटटी के बर्तन, लाह के काम, और रंगाई और बुनाई उल्लेखनीय हैं।

“चीढ़ के पेड़ में झरना”

चीढ़ के पेड़ में झरना

“त्सुके शोइन”

त्सुके शोइन

यह एक छोटी सी लकड़ी के फ्लोर सी जगह है जो ताकोनोमा अल्कोव के साथ बनी होती है, यह बरामदा की ओर निकला होता है , इसमें एक प्रकाश अवरोध होता है। इससे एक डेस्क जुड़ा होता है। इसे शोइन-दोको, इदाशिफु-ज़ुके, शोइन-गामाए, शोइन-दाना, आकारी-दोको और आकारी-जोइन भी कहते हैं ।

“गुलदाउदी के फूल”

“Chrysanthemum Flowers” screen painting

“कानो संराकु”

कानो सानराकू (1559–1635) आज़ुचिमोमोयामा काल और प्रारंभिक एदो काल का एक चित्रकार। वह क्योगानो स्कुल के संस्थापक थे। उनका असली नाम मित्सुयोरी था और वह शुरीनोसुके के नाम से भी जाने जाते थे । वह वस्तुतः किमुरा परिवार से थे, और ओमी प्रान्त के रहने वाले थे । उन्होंने कानो एइतोकू से शिक्षा प्राप्त की और उन्हें कानो नाम पदवी के तौर पर मिला। वह तोयोतोमी परिवार की सेवा में रहे और ओसाका महल, जुराकुतेइ महल, और शितेन्नोजी मंदिर में अपने कार्य से योगदान दिया। उनकी शैली बहुत सुदृढ़ और सुन्दरता को बढाने वाली है। उन्होंने दाइकोकुजी मंदिर और दुसरे मंदिरों के लिए भी स्क्रीन पेंटिंग बनाई।

“बाईं ओर के दो भाग”

बाईं ओर के दो भाग

“दाहिने तरफ के दो भागों”

दाहिने तरफ के दो भागों

“पश्चिम की ओर के चार भागों”

पश्चिम की ओर के चार भागों