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कोजोइन उद्यान कोजोइन अतिथिगृह के दक्षिण में फैला चिसेन कान्शो शैली का एक उद्यान है। यह एदो काल के "त्सुकियामा नीवा ज़ूकुरीदेन" में एक प्रसिद्ध उद्यान के रूप में पेश किया गया है, और 1934 में इसे एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल के रूप में नामित किया गया था।
तालाब के ऊपर एक प्राकृतिक पत्थर के पुल के साथ नाकाजीमा द्वीपऔर योदोमारी पत्थरों को स्थापित किया गया है। और केंद्र के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से के पास खड़े पत्थरों को कारेताकी अर्थात सूखे झरने के लिए लगाया गया है। त्सुकियामा अर्थात कृत्रिम पहाड़ प्राकृतिक स्थलाकृति का उपयोग करते हैं, इसलिए पेड़ों की छाया तालाब को अधिक विचित्र वातावरण देती हैं। तालाब अतिथिगृह के विस्तृत किनारे के नीचे तक प्रवेश करता है और वास्तुकला और उद्यान मिलकर एक बारीक रहस्यमय वातावरण बनाते हैं।

“कोजोइन अतिथिगृह”

कोजोइन अतिथिगृह

“चिसेन कान्शो शैली”

एक जापानी उद्यान जो चार मौसमों में परिवर्तन के साथ-साथ विशाल प्रकृति की सुंदरता को दर्शाता एक छोटा नमूना है। सबसे ज्यादह प्रचलित शैली चीसेन-शैली है, जिसमे पत्थरों की सजावट के साथ उद्यान के बीचो-बिच एक तालाब होता है। चिशेन शैली के उद्यान के दो प्रकार में बाटा जा सकता है, पहला काइयु शैली जिसमे देखने वाला उद्यान के अन्दर चारो तरफ टहल सकता है, और दूसरा जिसमे उद्यान का नज़ारा कमरे में बैठ कर सकते हैं।

“एदो काल”

उस काल का नाम जो तोकुगावा इयेयासु का सेकिगाहरा यूद्ध (1600 ईo) में विजय के उपरांत 1603 ईo में एदो बाकुफु की स्थापना करने से लेकर, 1867 ईo में तोकुगावा योशिनोबू द्वारा शाही शाषण की पुनर्स्थापना तक चला। इसे तोकुगावा काल भी कहते हैं।

“त्सुकियामा निवाज़ुकुरिदेन”

कितामुरा एंकिन्साई द्वारा लिखित एक उद्यान पुस्तक। यह 1735 ईo में क्योतो में प्रकाशित हुई । इसमें तीन खंड हैं: प्रथम, द्वितीय एवं अंतिम। इस पुस्तक ने बहुत ख्याति प्राप्त की और बागवानी के शौक के प्रसार में बहुत योगदान दिया, और मेइजी काल से आगे भी बागवानी को निरंतर प्रभावित किया।

“नाकाजीमा द्वीप”

नाकाजीमा द्वीप

तालाब के मध्य में बना एक द्वीप। नाकाजिमा नाम देजिमा द्वीप से अलग करने के लिए रखा गया है।

“योदोमारी पत्थरों”

योदोमारी पत्थरों

तालाब की सतह पर लगभग एक जैसे आकार के पत्थरों को इस तरह सजाया जाता है कि देखने से लगे की पत्थर के द्वीप एक सीधी पंक्ति में सतह पर तैर रहे हैं। इसे एक अच्छी किस्मत की निशानी माना जाता है क्योंकि, उन्हें देख कर ऐसा लगता है जैसे की खजानों की तलाश में पेंगलाइ पर्वत की ओर जाते हुए नाव किनारे पर ठहर रहें हैं।

“कारेताकी अर्थात सूखे झरने”

कारेताकी अर्थात सूखे झरने

असली में बिना पानी बहाए, पत्थर और सफ़ेद बालू के इस्तेमाल से बनाया गया एक दिखावटी झरना, इस तकनीक को कारेसान्सुइ कहते हैं।

“त्सुकियामा अर्थात कृत्रिम पहाड़”

त्सुकियामा अर्थात कृत्रिम पहाड़

उद्यान में बना एक कृत्रिम पहाड़। आमतौर पर तालाब के साथ मिलकर यह उद्यान का एक महत्वपूर्ण अंग है।

“अतिथिगृह के विस्तृत किनारे”

अतिथिगृह के विस्तृत किनारे
मुरोमाची काल