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यह मीइदेरा मंदिर के चिन्जूशा तीर्थस्थलों में से एक है। वर्तमान संरचना को 1727 में दुबारा बनाया गया था। यहां महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर गोहो ज़ेन शिन की खड़ी हुई मूर्ति है ।
गोहो ज़ेन शिन को किशिमोजिन के तौर पर पूज्य माना जाता है, जिसे कारितेइमो के नाम से भी जाना जाता है। 1363ईo में अशीकागा ताकाउजी द्वारा श्राइन के पुनर्निर्माण के अवसर पर “सेन्दांगो महोत्सव” का आयोजन किया गया था और आज भी जारी है। उत्सव के दौरान, किशिमोजिन के 1,000 बच्चों को 1,000 चावल के लड्डू (दांगो) भेंट किए जाते हैं। यह शिशुओं के सुरक्षित और आसान जन्म के लिए, और अधिक व्यापक रूप से बच्चों की सुरक्षा के लिए एक अनुष्ठान प्रार्थना का हिस्सा है।
इस महोत्सव के दौरान, होजोची तालाब में “होजोए” (होजोमिलन) का आयोजन होता है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों के नाम कछुओं के गोले पर लिखते हैं और उन्हें तालाब में छोड़ देते हैं। यह महोत्सव 600 वर्षों से अधिक समय से ओत्सु शहर का प्रतीक बना हुआ है।

“चिन्जूशा”

एक मंदिर जिसका निर्माण एक बौध मंदिर की रक्षा के लिए हुआ।

“गोहो ज़ेनशिन की खड़ी हुई मूर्ति”

गोहो ज़ेनशिन की खड़ी हुई मूर्ति

एक शांत भाव वाली प्रतिमा जो सरू के लकड़ी के एक ही टुकड़े से बनी है, इसकी नक्काशी थोड़ी हलकी है, और अतिरिक्त झूलते कपड़े कम हैं। बाएँ हाथ में अनार पकड़े, तांग शैली (चीन) का परिधान पहने इसे खड़ी एक देवी के रूप में तराशा गया है। हेइआन काल (12वीं शताब्दी) में बनी यह एक मत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर है। इसकी ऊंचाई 159.1 सेमी है।

“किशिमोजिन”

राजगीर के एक यक्ष देव की बेटी। उसने हज़ार बच्चों को जन्म दिया, वह दुसरे के बच्चो को चुराकर खा जाती थी इसलिए बुद्ध ने उसे रास्ते पर लाने के लिए उसके सबसे चहेते बच्चे को छिपा कर रख लिया। तब से वह बौध कानून की रक्षा करने वाली देवी बन गई। कहते हैं वह लोगो की मनोकामना पूरी करती थी जैसे की: किसी के संतान की इच्छा, सुरक्षित प्रसव, पालन-पोषण आदि की इच्छा। कहते हैं वह कमल-सूत्र को ग्रहण करने वालों की रक्षा करती है। उसकी दो प्रकार की छवि है: एक स्वर्गीय महिला की छवि जो सिने से बच्चे को लगाए हाथ में अनार लीये है, दूसरा एक क्रोधित दानव वाली छवि। इन्हें कानागिमो और कारितेइमो के नाम से भी जानते हैं।

“अशीकागा ताकाउजी”

आशिकागा ताकाउजी(1305–1358) मुरोमाची काल का प्रथम शोगून था (कार्यकाल- 1338–1358)। उसे सम्राट गोदाइगो के असली नाम ताकाहारू से एक कांजी अक्षर "ताका" दिया गया और जिससे उसका नाम ताकाउजी परा। गेंको यूद्ध में, ताकाउजी ने रोकुहारा को तबाह करके केन्मु पुनर्स्थापन की नीव डाली। बाद में उसने सम्राट गोदाइगो से बगावत कर दी और सम्राट कोम्यो का साथ दिया, तब से वह सेइइताई शोगून (शोगून) कहलाया और मुरोमाची शोगून को व्यवस्था कायम किया।

“सेन्दांगो महोत्सव”

सेन्दांगो महोत्सव

“होजोची तालाब”

होजोची तालाब

“होजोए”

होजोए
एदो काल (क्योहो बारहवां वर्ष 1727 ईo)