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"आका" बुद्ध को प्रदान किया जाने वाला पानी है, कहा जाता है कि इस घर के अंदर के पत्थर से फुट कर निकलने वाले जलस्रोत में एक आध्यात्मिक शक्ति है जिसका उपयोग जापान के तीन सम्राटों तेन्जी, तेन्मु और जितो द्वारा प्रथम स्नान के लिए किया गया था। इस मंदिर का नाम "मीइदेरा" जिसका अर्थ "तीन कुओं का मंदिर" होता है, यहीं से लिया गया है।
आकाइया कुआँ घर का निर्माण इस पवित्र जलस्रोत की रक्षा करने के लिए 1600ईo में किया गया था। इसकी विस्तृत रूप-रेखाएं मोमोयामा काल की सुंदर विशेषताओं को दर्शाती हैं। विशेष रूप से, सामने वाले दरवाज़े के काएरुमाता की ड्रैगन मूर्तिकला के बारे में कहा जाता है कि इसे हिदारी जिंगोरो ने बनाया था। यह बताया जाता है कि ये ड्रैगन हर रात बिवा झील में तबाही मचाता था जिसे जिंगोरो ने खुद उसकी आंख की पुतली में पांच इंच की कील ठोंकी और उसे शांत किया।

“पत्थर से फुट कर निकलने वाले जलस्रोत”

पत्थर से फुट कर निकलने वाले जलस्रोत

“तेन्जी”

सातवीं सदी मध्य के सम्राट तेंजी (626–671)। उन्होंने नकातोमी नो कामातारि के साथ योजना बनाकर शोगा वंश को नष्ट किया , और राजकुमार के तौर पर ताइका सुधार को लागु किया। 661 ईo में अपनी माँ महारानी साइमेइ की मृत्यु के पश्चात् , उन्होंने राज्य का सञ्चालन किया। 667 ईo में वह ओमी प्रान्त (वर्तमान शिगा प्रान्त )चले गए और उसके अगले साल यथाविधि से राजगद्दी पर विराजमान हुए। उन्होंने कोगो नेंजाकू (फेमिली रजिस्टर ) और ओमी कोड्स(नियम ) लागु कर आतंरिक प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार किया। (कार्यकाल 668–671)

“तेन्मु”

सम्राट तेंमु 7 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के एक सम्राट। इनके दुसरे नाम अमानो-नुनाहाराओकी नो माहितो एवं ओआमा भी है। वह सम्राट जोमेई के तीसरे नम्बरके राजकुमार थे, 671 ईo में उन्होंने घर छोड़ दिया और योशिनो चले गए। सम्राट तेंजी के मृत्यु के पश्चात् इन्होने जिन्शिन के यूद्ध (672) में विजय प्राप्त की, और अगले साल आसुका कियोमिहारा महल में राज गद्दी संभाली। उन्होंने एक नई सामाजिक वयवस्था (याकुसा नो काबाने ) लागु की, पदों को संशोधित किया, एक डिक्री लागू की और राष्ट्रीय इतिहास का संपादन शुरू किया। (शासनकाल 673-686)

“जितो”

महारानी जितो (645–702) सातवीं शताब्दी उत्तरार्ध की एक महारानी थीं। सम्राट तेंजी की दूसरी राजकुमारी और सम्राट तेन्मु की रानी। उनके नाम ताकामानोहाराहिरो नो हिमे और उनो नो सारारा थे। सम्राट तेन्मु के देहांत के पश्चात् इन्होने बिना विधिवत राजगद्दी संभाले हुए शाषण किया। राजकुमार कुसाकाबे के मृत्यु के पश्चात् इन्होने राजगद्दी संभाली। इनका शाही महल यामातो प्रान्त के फुजिवारानोमिया में है। सम्राट मोन्मु के हक़ में पदत्याग करके, दाइजो तेन्नो (किसी उत्तराधिकारी के हक़ में राजगद्दी का त्याग करने वाले सम्राट की उपाधि ) बन गईं । (शासनकाल 690–697)

“काएरुमाता”

काएरुमाता

यह एक धरा है जो दो पैरों वाले एक क्षैतिज तल पर रखा जाता है, जैसे कि मेंढक अपने पैरों को खोलता है, दोनों बाएं और दाएं हेम एक घुमावदार आकार में फैले हुए होते हैं। यह भी कहा जाता है कि याजीरी (तीर के नोक में लगाई जाने वाली एक नोकीली चीज़) के आकार में से एक है जो दो भागों में विभाजित कारीमाता से निकला है।

“हिदारी जिंगोरो”

एदो काल का एक बढई, जो मंदिरों और जीन्जा बनाने में महारत रखता था। उससे जुडी कई कहानियाँ मशहूर हैं। कहते हैं निक्को के तोशोगु मंदिर में खुदे हुए नेमुरी नेको (सोई बिल्ली) उसी की कलाकारी है, पर इस बात का कोई सबूत नहीं।

“ड्रैगन मूर्तिकला”

ड्रैगन मूर्तिकला
मोमोयामा काल (केइचो युग पांचवां साल, 1600 ईo)