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यह मीइदेरा मंदिर जो के तेंदाईजीमोन सेक्ट का प्रमुख मंदिर है, का मुख्य हॉल है।
मीइदेरा मंदिर को 7 वीं शताब्दी में सम्राट तेन्जी (626-671) से संबंधित मंदिर के रूप में बनाया गया था। 1300 वर्षों से भी अधिक के इसके इतिहास में इस मंदिर ने कई कानूनी कठिनाइयों का सामना किया। साथ में इसे अनेकों बार जलागया और इसका पुनर्निर्माण भी किया गया है।
वर्तमान के मुख्य हॉल को तोयोतोमी हिदेयोशी की पत्नी किता नो मान्दोकोरो के द्वारा 1599 ईo में दुबारा बनवाया गया था। भारी भरकम छत में सरू की छाल की हल्की और सुंदर संरचना वाली यह इमारत मोमोयामा काल का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रसिद्ध इमारत के रूप में जानी जाता है।
हॉल का अंदरूनी हिस्सा तीन भाग, गेजीन (बाहरी कक्ष ), नाइजीन (आंतरिक कक्ष ) और कोजीन (पिछला कक्ष) में विभाजित किया गया है। आंतरिक कक्ष का केंद्र, जो गुप्त बुद्ध, मिरोकु बुद्ध के मुख्य बुद्ध को सुनिश्चित करता है, यह फर्श को बिना स्पर्श किये हुए एक कदम नीचे जमीन के अंदर है। यह पारंपरिक तेंदाइ बौद्ध मंदिर की शैली को बतलाता है।

“तेंदाईजीमोन सेक्ट”

तेंदाईजीमोन सेक्ट, तेंदाईजी मंदिर के पांचवे मुख्य पुजारी चिशो दाइशी एन्चिन (814–891) के संथापक के तौर पर आदर करते है। इस संप्रदाय का मुख्य मंदिर मीईदेरा मंदिर है (ओन्जोजी मंदिर )जो शिगा प्रान्त के ओत्सू शहर में स्थित है।
दसवीं सदी में , चिशो दाइशी के शिष्य तेंदाई संप्रदाय से अलग हो गए , उनका मुख्य मंदिर हिएइ पर्वत पर स्थित एनरयाकुजी मंदिर है । तबसे तेंदाई संप्रदाय के दो शाख हो गए, हीए पर्वत से जुड़ा तेंदाई संप्रदाय सानमोन शाख कहलाया और दूसरा जिमोन संप्रदाय कहलाने लगा।

“मुख्य हॉल”

केंद्रीय भवन जहां मंदिर में प्रमुख देवता विराजमान हैं। अलग अलग संप्रदाय के आधार पर, इसे कोंदो, चूदो ,बुत्सुदेन, मिकागेदो या अमिदादो आदि कहा जाता है।

“सम्राट तेन्जी”

सातवीं सदी मध्य के सम्राट (626–671)। उन्होंने नाकातोमी नो कामातारि के साथ योजना बनाकर शोगा वंश को नष्ट किया , और राजकुमार के तौर पर ताइका सुधार को लागु किया। 661 ईo में अपनी माँ महारानी साइमेइ की मृत्यु के पश्चात् , उन्होंने शाषण का सञ्चालन किया। 667 ईo में वह ओमी प्रान्त (वर्तमान शिगा प्रान्त ) चले गए और उसके अगले साल यथाविधि से राजगद्दी पर विराजमान हुए। उन्होंने कोगो नेंजाकू (परिवार का रजिस्टर ) और ओमी कोड्स (नियम ) लागु कर आतंरिक प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार किया। (कार्यकाल 668–671)

“तोयोतोमी हिदेयोशी”

आजुचिमोमोयामा काल का एक सेनापति। शुरू में वह ओदा नोबुनागा की सेवा में रहा , पर जब 1582 ईo में होन्नोजी हादसे में ओदा नोबुनागा की मृत्यु हो गई तो उसने शीघ्र ही खुद को उसका उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और शत्रुओं को हराकर राज्य को संयुक्त किया। उसने 1583 ईo में ओसाका महल का निर्माण शुरू किया जिसे 5 मंजिले (बाहर से) और 8 मंजिले (अंदर से) मीनारों से सुसज्जित किया गया, जो इस महान सेनापति को शोभनीय थी। होताइको के नाम से मशहूर भव्य मोमोयामा संस्कृति जिसका प्रतिनिधित्व चा-नो-यू और कानो स्कूल के चित्र करते हैं, इसी काल में विकसित हुए।

मीइदेरा मंदिर के साथ उसके सम्बंध लगभग अच्छे थे, परन्तु अपने आखिरी वर्षों 1595 ईo में अचानक उसने मीइदेरा मंदिर की सारी सम्पति को ज़ब्त करने का आदेश जारी किया। अगस्त1598 ईo में उसके मरणोप्रांत, उसकी पत्नी किता नो मांदोकोरो के द्वारा मीइदेरा मंदिर को पुनः बहाल किया गया।

“किता नो मान्दोकोरो”

आमतौर पर सेष्शो (वह सेनापति जो कमउम्र सम्राट, या महारानी के स्थान पर कार्य भार संभालता हो) या काम्पकू (सम्राट का मुख्य सलाहकार) की जायज़ पत्नियों को संबोधित करता है। तोयोतोमी हिदेयोशी की पत्नी कोदाइ-इन के लिए खासकर इस शब्द का इस्तेमाल होने लगा। तोयोतोमी हिदेयोशी के मरणोपरांत उसने मीइदेरा मंदिर की मरम्मत का कार्य करवाया और मुख्य हॉल का पुनर्निर्माण करवाया।

“सरु की छाल की छत”

सरु की छाल की छत

सरू की छाल को छीलकर उसमे बांस की कील ठोकने की प्रक्रिया से बनाई गई छत।

“गेजीन, नाइजीन और कोजीन”

गेजीन, नाइजीन और कोजीन

“मिरोकु बुद्ध”

मिरोकु बुद्ध

मैत्र्या एक बोधिसत्वा हैं जिन्हें शाक्यमुनि बुद्ध के बाद बुद्ध बनने का वरदान दिया गया था। मैत्र्या भविष्य के बुद्ध हैं जो तुसिता स्वर्ग में निवास करते हैं। बुद्ध के मरने के 5.67 अरब साल बाद वह दुनिया में आएँगे, और रयुगु सान्ने के उपदेशो से वो जीवित प्राणी जिनका बुद्ध के काल में पूरी तरह उद्धार नहीं हो सका था, उन सभी प्राणियों का उद्धार करेंगे।

मोमोयामा काल (केइचो युग चौथा साल, 1599 ईo)