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कांगाकुइन अतिथिगृह की स्थापना 1312 ईo में हुई थी, जिसे मीइदेरा मंदिर के पाठशाला के रूप में "महान विद्वानों का प्रसिद्ध कमरा" नाम दिया गया था ।
वर्तमान अतिथिगृह को तोयोतोमी हिदेयोशी के मंदिर की संपत्ति ज़ब्त करने के बाद 1600 ईo में मोरी तेरुमोतो के द्वारा बनाया गया था। इसे कोजोइन अतिथिगृह के साथ जापान के पारंपरिक शोइन ज़ुकूरी शैली के वास्तुकला के अवशेष के रूप में जाना जाता है।
इसके अंदर तीन पंक्तियों में नौ कमरे हैं, जिनकी दक्षिण पंक्ति के इचिनोमा और निनोमा में कानो मित्सुनोबु की शानदार दिवार की चित्रकारी बनाई गई है। वर्तमान में इसे सांस्कृतिक धरोहर भंडारण में संग्रहीत और प्रदर्शित किया गया है। इचिनोमा की प्रतिलिपि को 1985ईo में न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट में प्रदर्शित किया गया था।

“तोयोतोमी हिदेयोशी”

आजुचिमोमोयामा काल का एक सेनापति। शुरू में वह ओदा नोबुनागा की सेवा में रहा , पर जब 1582 ईo में होन्नोजी हादसे में ओदा नोबुनागा की मृत्यु हो गई तो उसने शीघ्र ही खुद को उसका उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और शत्रुओं को हराकर राज्य को संयुक्त किया। उसने 1583 ईo में ओसाका महल का निर्माण शुरू किया जिसे 5 मंजिले (बाहर से) और 8 मंजिले (अंदर से) मीनारों से सुसज्जित किया गया, जो इस महान सेनापति को शोभनीय थी। होताइको के नाम से मशहूर भव्य मोमोयामा संस्कृति जिसका प्रतिनिधित्व चा-नो-यू और कानो स्कूल के चित्र करते हैं, इसी काल में विकसित हुए।

मीइदेरा मंदिर के साथ उसके सम्बंध लगभग अच्छे थे, परन्तु अपने आखिरी वर्षों 1595 ईo में अचानक उसने मीइदेरा मंदिर की सारी सम्पति को ज़ब्त करने का आदेश जारी किया। अगस्त1598 ईo में उसके मरणोप्रांत, उसकी पत्नी किता नो मांदोकोरो के द्वारा मीइदेरा मंदिर को पुनः बहाल किया गया।

“संपत्ति जब्ती”

(केश्शो का मतलब है ऐसी ज़मीन जिसका कोई मालिक नहीं हो।) कामाकुरा और मुरोमाची काल में किसी के अपराध के कारण शोगून द्वारा उसकी ज़मीन ज़ब्त कर ली जाती थी। ऐसी ज़मीन जिसका कोई मालिक नहीं होता था। ज़मीन के अलावा दूसरी सम्पति भी ज़ब्त कर ली जाती थी।

“मोरी तेरुमोतो”

मोरी तेरुमोतो (1553-1625) आज़ुची मोमोयामा काल का एक सैन्य सरदार था। मोतोनारी का पोता और ताकामोतो का बेटा। पहले वह आशिकागा योशिआकी की सेवा में था और ओदा नोबुनागा के खिलाफ था, पर होन्नोजी के हादसे के बाद उसने तोयोतोमी हिदेयोशी के साथ समझौता कर लिया और वह पांच बुजुर्गो के संघ (पांच ताकतवर सामन्त) का एक सदस्य बना। सेकीगाहारा के युद्ध में, वह पश्चिमी सेना का कप्तान बन गया, पर उसकी पराजय के बाद उसके अधिकार क्षेत्र घटाकर सिर्फ दो प्रान्त सुओउ और नागातो तक सिमित कर दिए गए।

“कोजोइन अतिथिगृह”

कोजोइन अतिथिगृह

“शोइन ज़ुकूरी”

हेइआन काल के कुलीन समाज से निकला शिन्देन-ज़ुकुरी शैली, समय के परिवर्तन के साथ-साथ तरक्की करता गया। कामाकुरा काल से आगे, जब शासन सामुराई सैनिक के हाथ में गई, तो उनके जीवन में खासकर अतिथि सत्कार की ज़रुरतो में भी यह शैली काम में आई। इसके अलावा इसपर चीन से आए ज़ेन वास्तुकला का भी प्रभाव पड़ा । और यह सैन्य समाज के निवास को एक अनूठा रंग प्रदान करता गया।

“अंदर तीन पंक्तियों में नौ कमरे”

अंदर तीन पंक्तियों में नौ कमरे

“कानो मित्सुनोबु”

कानो मित्सुनोबू (1565–1608) कानो एइतोकू (1543–1590) का बड़ा पुत्र था, जिसने मोमोयामा काल के चित्रकला का नेतृत्वा किया। ओदा नोबुनागा और तोयोतोमी हिदेयोशी की सेवा के दौरान उसने अपने पिता एइतोकू के साथ मिलकर बहुत सी महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की, पर अधिकतर ख़त्म हो गई हैं। उनमे से मिइदेरा मंदिर के कांगाकू-इन के अतिथि-कक्ष में कि गई चित्रकारी का काम, कानो मित्सुनोबू के कार्य-शैली को समझने के लिए उत्कृष्ट उदाहरण है।

“सांस्कृतिक धरोहर भंडारण”

सांस्कृतिक धरोहर भंडारण

“मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट में प्रदर्शित”

मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट में प्रदर्शित
मोमोयामा काल(केइचो युग पांचवां साल, 1600 ईo)